आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) 7 नवंबर 2025 : आज मार्गशीर्ष माह की द्वितीया तिथि, जानें शुभ मुहूर्त का समय

Aaj ka Panchang 07 November 2025

Aaj ka Panchang 07 November 2025

Aaj ka Panchang 07 November 2025: आज यानी 07 नवंबर को मार्गशीर्ष (Margashirsha Month 2025) माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया और तृतीया तिथि है और इस तिथि पर शुक्रवार पड़ रहा है। आज के दिन रोहिणी व्रत (Rohini Vrat 2025) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।

इस शुभ अवसर पर भगवान वासुपूज्य की पूजा की जा रही है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए व्रत रखा जा रहा है। मार्गशीर्ष माह के दूसरे दिन यानी रोहिणी व्रत पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं।। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 07 November 2025) के बारे में।

  • तिथि: कृष्ण द्वितीया
  • मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
  • दिन: शुक्रवार
  • संवत्: 2082
  • तिथि: द्वितीया प्रातः 11:05 बजे तक
  • योग: परिघ रात्रि 10:28 बजे तक
  • करण: गरज प्रातः 11:05 बजे तक
  • करण: वणिज रात्रि 09:16 बजे तक

सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति

  • सूर्योदय का समय: प्रातः 07:37 बजे
  • सूर्यास्त का समय: सायं 05:32 बजे
  • चंद्रोदय का समय: सायं 07:55 बजे
  • चंद्रास्त का समय: प्रातः 08:37 बजे

सूर्य और चन्द्रमा की राशियां

  • सूर्य की राशि: तुला
  • चन्द्रमा की राशि: वृषभ
  • आज के शुभ मुहूर्त

आज के शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:43 बजे से प्रातः 12:26 बजे तक
  • अमृत काल: रात्रि 09:44 बजे से रात्रि 11:09 बजे तक

आज के अशुभ समय

  • राहुकाल: प्रातः 10:43 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक
  • गुलिकाल: प्रातः 07:59 बजे से प्रातः 09:21 बजे तक
  • यमगण्ड: दोपहर 02:48 बजे से सांय 04:10 बजे तक

आज का नक्षत्र

  • आज चंद्रदेव रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे…
  • रोहिणी नक्षत्र- रोहिणी रात्रि 12:33 बजे तक (8 नवंबर)
  • सामान्य विशेषताएं: कला प्रिय, रचनात्मक, रोमांटिक, व्यावसायिक समझ, ऐश्वर्यप्रिय, जिद्दी, व्यवहारिक, भोग-विलासी, दिखावटी, बड़ी आंखें, ईमानदार, उदार, दानशील, संवाद-कुशल, एकाग्रचित्त, और शांत स्वभाव
  • नक्षत्र स्वामी: चंद्र देव
  • राशि स्वामी: शुक्र देव
  • देवता: ब्रह्मा देव या प्रजापति
  • प्रतीक: गाड़ी का पहिया

मां लक्ष्मी के मंत्र

1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।